Course Type | Course Code | No. Of Credits |
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Foundation Elective | SGA1FC114 | 4 |
Semester and Year Offered: Monsoon semester, BA first year
Course Coordinator and Team: Awadhesh Tripathi
Email of course coordinator: awadhesh@aud.ac.in
Pre-requisites: None
Course Objectives/Description:
मध्यकालीन भारतीय समाज का एक विशिष्ट किंतु जीवंत यथार्थ ‘इंडो-इस्लामिक’ संस्कृति की मौजूदगी है। इस संस्कृति के चिन्ह साहित्यिक रचनाओं में दृष्टिगोचर होते हैं। ये साहित्यिक रचनाएँ कविता के क्षेत्र में सबसे अधिक फलित हुईं जिसे इनकी सामासिकता का ध्यान रखते हुए हिंदुस्तानी कविता का नाम दिया गया। इस सृजनात्मक उपलब्धि से दिल्ली के विद्यार्थी सहज ही परिचित होते हैं क्योंकि इनके रचनाकार दिल्ली और उसके आस-पास रचनारत रहे हैं। इस क्षेत्र में लम्बे समय तक चलने वाली इस गतिविधि के कुछ नमूनों और उनके ज़रिए उस समूची संस्कृति का परिचय इस पाठ्यक्रम के माध्यंम से विद्यार्थियों को कराया जाता है।
Course Outcomes:
विद्यार्थियों को दिल्ली की सामासिक संस्कृति से परिचित कराना।
साहित्यिक रचनाओं के ज़रिए हिंदी समाज की सांस्कृतिक विविधता के पार्टी विद्यार्थियों को सम्वेदनशील बनाना।
दिल्ली के सामाजिक जीवन में मौजूद साझी संस्कृति को उजागर करना और उसका महत्व प्रकाश।
‘इंडो-इस्लामिक’ संस्कृति से उपजी हुई भाषा से विद्यार्थियों को परिचित कराना।
Brief description of modules/ Main modules:
माड्यूल 1:
सामासिकसंस्कृति
हिंदुस्तान साझी संस्कृति कि अद्भुत मिसाल है | भारतमेंइस्लामकेआगमनकेसाथस्थानीय आबादीकेमिलनेसेजनताकेभीतरएकविशेषक़िस्मकेसांस्कृतिकमाहौलकानिर्माणहुआ।उससंस्कृतिकोसमझनेकेलिएआमतौरपरसामासिकसंस्कृतिकानामदियागयाहै।इसकीविशेषतायहथीकिनतोयहमिश्रितसंस्कृतिथी, नहीसांस्कृतिकआदान-प्रदानकीइसकाआधारथाबल्किस्थानीयआबादीकेधर्मऔरइस्लामधर्मावलंबीजनताकेसांस्कृतिकव्यवहारकीसामन्यतानेमिलकरएकनईसंस्कृतिकाप्रादुर्भावहुआ।सामासिक संस्कृति को साहित्य के कवियों ने बखूबी अपनी रचनाओं में स्थान दिया है | धार्मिक सद्भाव कि भावना से ओत-प्रोत ये कवि सभी सीमाओं का अतिक्रमण कर एक दूसरे के यहाँ मनाये जाने वाले त्योहारों आदि का चित्रण बड़े ही मोहक ढंग से करते नजर आते है जो साझी संकृति कि मिसाल बन जाते है
माड्यूल 2:
दिल्लीकासमाजऔरसाझीसंस्कृति
दिल्लीसांस्कृतिकअंतरलयनकाकेंद्ररहीआयीहै।नकेवलहिंदुस्तानीकविताएकअधिकांशरचनाकारदिल्लीवासीरहेहैंबल्किदिल्लीकीसांस्कृतिकधरोहरकेबड़ेहिस्सेकानिर्माणभीइन्हींरचनाकारोंसेजुड़ेहुएस्थानोंऔरस्मृतियोंसेहुआहै।वस्तुतःअधिकांशकलारूपोंऔरस्थापत्यआदिमेंइससाझीसंस्कृतिकीअनुगूँजक़दम-क़दमपरमौजूदहै।विद्यार्थियोंकोइसमाड्यूलमेंदिल्लीआधारितइनचीज़ोंसेफ़ील्डट्रिपकेज़रिएभीपरिचितकरायाजाएगा।
माड्यूल 3:
साझीसंस्कृतिकेदिल्लीवासीकवि
अमीरखुसरो [सकलबनफूलरहीसरसों, आजरंगहैरीमाँरंगहैरी, छापतिलकसबछीनीवअन्य],
मीरतकीमीर [पत्तापत्ताबूटाबूटा, देखतोदिलकेजाँसेउठताहै, हस्तीअपनीहुबाबकीसीहै],
ग़ालिब [नुक्ताचींहैगमेदिल, कोईउम्मीदबरनहींआती, हजारोंख़्वाहिशेंऐसी],
रहीमकेचुनिंदादोहे।
माड्यूल 4:
साझीसंस्कृतिकेअन्यकवि
कबीर [हमनहैइश्क़मस्ताना, दुलहिनिगावहुमंगलचारऔरचुनिंदादोहे],
रसखान [यालकुटीअरुकामरिया, मोरपखासरऊपरराखिहौं, सेसमहेसगणेसदिनेस, मानुसहौंतोवहीरसखान]
नज़ीर [रोटीनामा, ब्याहकान्हाका, कन्हैयाजीकीहोली, तिलकेलड्डू],
बुल्लेशाह [बुल्लाकीजाणामैंकौन, बुल्लेनूसमझावनआइयाँ, रांझारांझाकरदीनीमैं],
वलीदकनी [साजनतुमसुखसेतीखोलोनक़ाबआहिस्ताआहिस्ता ,जादूहैतेरेनयनग़ज़लसूँकहूँगा
Assessment Details with weights:
Assessment exercises and their weighting may change.
Reading List
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